मुंबई की चौंकाने वाली खबर: साढ़े तीन साल के बच्चे ने निगला LED बल्ब, जसलोक हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन

मुंबई झकास खबर:
साढ़े तीन साल के राहुल (नाम बदला हुआ) को पिछले तीन महीनों से खांसी और सांस लेने में तकलीफ थी। शुरू में माता-पिता ने इलाज करवाया, जिसमें न्यूमोनिया का पता चला और एंटीबायोटिक्स दिए गए। इसके बावजूद समस्या कम नहीं हुई।
चौंकाने वाला खुलासा:
सीटी स्कैन में पाया गया कि राहुल के बाएं ब्रॉन्कस में गहरे धातु का हिस्सा मौजूद था। कोल्हापुर में फ्लेक्सिबल ब्रॉन्कोस्कोपी असफल रहने के बाद, उसे जसलोक हॉस्पिटल में लाया गया। यहाँ ब्रॉन्कोस्कोपी में निगला गया LED बल्ब ब्रॉन्कस में मिला।
सर्जरी और बचाव:
डॉ. विमेश राजपूत और डॉ. दिव्य प्रभात ने मिनी थोराकोटॉमी (4 सेमी चीरा) कर बल्ब सफलतापूर्वक निकाल दिया। डॉ. अनुराग जैन ने एनेस्थेसियोलॉजी में सहयोग किया। इस सर्जरी से राहुल के फेफड़े सामान्य कार्य करने लगे।
डॉक्टरों का बयान:
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डॉ. विमेश राजपूत: “यह सबसे दुर्लभ केस था। LED बल्ब फेफड़ों में गहरा चला गया था और सामान्य उपचार विफल रहे। सावधानीपूर्वक मिनी थोराकोटॉमी से हम इसे सुरक्षित रूप से निकाल पाए।”
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डॉ. दिव्य प्रभात: “बच्चों में अस्पष्ट श्वसन लक्षणों को कभी नजरअंदाज न करें। प्रगत इमेजिंग से जल्दी निदान संभव है और परिणाम बेहतर होते हैं।”
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डॉ. मिलिंद खडके: “बच्चों द्वारा वस्तुएँ निगलना सामान्य है। समय पर इलाज और विशेषज्ञ हस्तक्षेप से फेफड़ों को दीर्घकालिक नुकसान से बचाया जा सकता है।”
अभिभावकों की प्रतिक्रिया:
राहुल के पिता, अविनाश पाटील, ने कहा कि तीन महीने की चिंता और डर के बाद अब उनका बच्चा सुरक्षित है और हंस रहा है। उन्होंने हॉस्पिटल टीम का धन्यवाद किया।
FAQ (महत्वपूर्ण जानकारी):
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कैसे पहचानें कि बच्चे ने कोई वस्तु निगल ली है?
खांसी, सांस लेने में कठिनाई, गले में दर्द, अधिक थूकना, रक्त या पेट दर्द हो सकता है। 3 साल से छोटे बच्चों में यह आम है। -
कब खतरा बनता है?
यदि वस्तु एयरवे में फंस गई है, तो खांसी, सांस रोकना या गंभीर श्वसन समस्या हो सकती है। -
निदान कैसे होता है?
सीटी स्कैन, एक्स-रे या ब्रॉन्कोस्कोपी से वस्तु की स्थिति पता लगती है। प्लास्टिक या लकड़ी एक्स-रे में दिखाई नहीं देती, इसलिए डॉक्टर को लक्षण और संदिग्ध वस्तु की जानकारी देना जरूरी है।