पती पर परिवार से संबंध तोड़ने का दबाव मानसिक उत्पीड़न: अदालत

दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला: पत्नी का लगातार मानसिक दबाव और अपमान घटस्फोट का कारण बन सकता है
दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक मामले में कहा कि अगर पत्नी अपने पति पर कुटुंब से अलग होने के लिए लगातार दबाव डालती है, तो यह मानसिक क्रूरता माना जाएगा और घटस्फोट का आधार बन सकता है।
न्यायालय ने टिप्पणी की कि:
- सार्वजनिक रूप से पति का बार-बार अपमान करना,
- कामकाजी स्थान पर सहकर्मियों और वरिष्ठों के सामने उसे गाली देना,
- पुलिस में झूठी शिकायतें दर्ज कराना,
ये सभी मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आते हैं।
न्यायमूर्ति अनिल खेतरपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने पत्नी का अपील खारिज कर दिया और कौटुंबिक न्यायालय का आदेश कायम रखा। न्यायालय ने कहा कि पति ने साक्ष्यों और प्रमाणों के माध्यम से साबित किया कि पत्नी का व्यवहार लगातार दबाव, धमकी और अपमानपूर्ण था।
पती ने बताया कि पत्नी उसे कुटुंब से अलग रहने और उनकी संपत्ति में हिस्सेदारी पाने के लिए दबाव डाल रही थी। उसने कई बार पुलिस शिकायतें दर्ज कराईं और एक बार काम के स्थान पर सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उसकी बेइज़्ज़ती भी की।
उच्चशिक्षित महिला के पोटगी की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
घटस्फोट के एक अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि महिला उच्चशिक्षित है, तो उसे पोटगी मांगने के बजाय स्वयं कमाई करनी चाहिए।
मुंबई की इस महिला ने फ्लैट, रखरखाव के लिए 12 करोड़ रुपये और महंगी BMW कार की मांग की थी, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।
सारांश: अदालतों का रुख साफ है कि मानसिक क्रूरता और अनावश्यक दबाव घटस्फोट का कारण बन सकते हैं, और सक्षम महिलाओं को स्वावलंबी बनने और पोटगी पर निर्भर न रहने की सलाह दी जाती है।