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Reliance Infra Distances Itself from CBI Case | रिलायंस इंफ्रा ने CBI केस से खुद को किया अलग

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दिया स्पष्टीकरण : सीबीआई चार्जशीट का व्यवसाय पर कोई असर नहीं

मुंबई, 19 सितंबर – रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने शुक्रवार को बीएसई फाइलिंग में कहा कि रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस (RCFL), रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) और कंपनी के अध्यक्ष अनिल अंबानी के विरुद्ध दाखिल की गई सीबीआई चार्जशीट का उनके व्यवसाय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कंपनी ने स्पष्ट किया कि सीबीआई की इस कार्रवाई से कंपनी के दैनिक प्रबंधन, संचालन, व्यवसाय, वित्तीय स्थिति, शेयरधारकों, कर्मचारियों या अन्य हितधारकों पर कोई असर नहीं होगा।


आरोप 10 साल पुराने

  • सीबीआई चार्जशीट में दर्ज लेन-देन 10 वर्ष से अधिक पुराने हैं।

  • सर्वोच्च न्यायालय के 2022 और 2023 के निर्णयों के बाद RCFL और RHFL के मामले पूर्ण रूप से निपटाए जा चुके हैं।

  • इन कंपनियों का प्रबंधन बदल दिया गया है और आरबीआई नियमों के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा की अगुवाई में ऋणदाताओं की व्यवस्था से यह प्रक्रिया पूरी हुई है।

  • कंपनी ने यह भी कहा कि अनिल अंबानी कभी भी RCFL या RHFL के बोर्ड में नहीं थे और पिछले साढ़े तीन वर्षों से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में भी शामिल नहीं रहे हैं।


सीबीआई चार्जशीट – येस बैंक मामला

18 सितंबर को सीबीआई ने अनिल अंबानी के विरुद्ध येस बैंक घोटाले में आरोपपत्र दाखिल किया।

  • सीबीआई का आरोप है कि येस बैंक के तत्कालीन सीईओ राणा कपूर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बैंक का धन RCFL और RHFL जैसी वित्तीय रूप से कमजोर कंपनियों में लगाया।

  • बदले में अंबानी समूह की कंपनियों ने कपूर परिवार की कंपनियों को कम ब्याज दर पर ऋण और निवेश दिए।

  • इस धोखाधड़ी से बैंक को 2,796 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।


ईडी और सीबीआई की कार्रवाई

  • 24 जुलाई को ईडी ने 35 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की, जो अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप और लगभग 50 कंपनियों से जुड़े थे।

  • 23 अगस्त को सीबीआई ने अनिल अंबानी के घर पर भी छापा मारा।

  • जांच 2022 में येस बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी की शिकायत पर शुरू हुई थी।


पूरा मामला 3 प्रश्न और उत्तरों में

प्रश्न 1: ईडी ने अनिल अंबानी पर कार्रवाई क्यों की?
उत्तर: यह मामला 2017 से 2019 के बीच येस बैंक द्वारा रिलायंस ग्रुप कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ऋण से संबंधित है।

  • ईडी की प्राथमिक जांच में पाया गया कि ये ऋण शेल कंपनियों और अन्य समूह संस्थाओं को मोड़ दिए गए।

  • शक है कि येस बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को इसके बदले लाच दी गई।

प्रश्न 2: ईडी की जांच में और क्या सामने आया?
उत्तर: ईडी के अनुसार यह एक “सुव्यवस्थित योजना” थी, जिससे बैंकों, निवेशकों और सार्वजनिक संस्थाओं को धोखा दिया गया।
जांच में सामने आई अनियमितताएं –

  • कमजोर या अप्रमाणित कंपनियों को ऋण।

  • कई कंपनियों में एक ही पता और निदेशक।

  • कर्ज से जुड़े दस्तावेजों का अभाव।

  • फर्जी कंपनियों को धन हस्तांतरित करना।

  • पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज देना।

प्रश्न 3: इस मामले में सीबीआई की भूमिका क्या है?
उत्तर: सीबीआई ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कीं। दोनों मामले येस बैंक द्वारा RHFL और RCFL को दिए गए ऋण से जुड़े हैं।

  • इसमें येस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर और उनका परिवार भी नामजद है।

  • जांच में सेबी, राष्ट्रीय आवास बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और राष्ट्रीय वित्तीय लेखा प्राधिकरण (NFRA) जैसी संस्थाओं से मिली जानकारी का भी उपयोग किया गया।

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