“मैथिली ठाकुर को बीजेपी टिकट — चेहरा बड़ा या जनता को लुभाने का नया दांव?”

पटना, 22 अक्टूबर 2025 | संवाददाता – सब तक एक्सप्रेस
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियों में है — लोकगायिका मैथिली ठाकुर का बीजेपी से टिकट मिलना। सोशल मीडिया से लेकर गांव की चौपाल तक हर जगह यही चर्चा है — “क्या मैथिली ठाकुर राजनीति के लिए तैयार हैं या सिर्फ नाम की वजह से टिकट मिला?”
भाजपा ने इस बार युवाओं और लोकप्रिय चेहरों पर दांव लगाया है, लेकिन जनता के बीच यह सवाल तेजी से तैर रहा है कि क्या मैथिली ठाकुर बीजेपी की सक्रिय कार्यकर्ता या पदाधिकारी हैं, या फिर उनका राजनीतिक अनुभव और योगदान ऐसा रहा है कि उन्हें सीधा विधानसभा का टिकट दिया जाए?
कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा ने मैथिली ठाकुर पर दांव “सेलिब्रिटी इफेक्ट” के चलते लगाया है — यानी एक बड़ा और स्वच्छ चेहरा, जो जनता को आकर्षित कर सके और सीट को जीत में बदल सके। वहीं विरोधी दल इसे भाजपा की “इमोशनल मार्केटिंग” बता रहे हैं, जो सिर्फ प्रसिद्धि के सहारे राजनीति साधने का प्रयास है।
जनता के बीच भी राय बंटी हुई है — एक वर्ग कह रहा है कि “नई पीढ़ी और साफ छवि वाले चेहरों को मौका मिलना चाहिए,” जबकि दूसरा वर्ग पूछ रहा है, “क्या राजनीति सिर्फ नाम और पहचान के दम पर चलनी चाहिए?”
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सिर्फ लोकप्रियता से राजनीति में सफलता मिल सकती है, या फिर जनसेवा, अनुभव और राजनीतिक समझ ही असली कसौटी है?
वर्तमान दौर में जब राजनीति को “ब्रांडिंग और शो-ऑफ” के रूप में परोसा जा रहा है, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इसे सकारात्मक बदलाव मानेगी या भावनात्मक खेल।
फिलहाल जनता, पार्टी और विपक्ष — तीनों ही ‘मैथिली कार्ड’ को लेकर उत्सुक हैं।
पर असली सवाल यह है कि इस खेल में फायदा जनता का होगा या पार्टी का, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।



