कारोबार के अंत में सेंसेक्स 600 अंकों की गिरावट के साथ 82,700 के स्तर पर स्थिर हुआ।

आज की बाजार गिरावट सिर्फ घरेलू कारकों से नहीं जुड़ी, बल्कि वैश्विक निवेश भावना में कमजोरी इसका मुख्य कारण मानी जा रही है। अमेरिकी बाजारों में बीती रात डॉव जोन्स 0.84%, एसएंडपी 500 में 1.12% और नैस्डैक कंपोजिट में 1.90% की गिरावट आई। इसके प्रभाव से एशिया और भारत दोनों के निवेशक सतर्क दिखे। एफआईआई द्वारा 3,605 करोड़ रुपये की बिकवाली होना बाजार कमजोर होने का संकेत है, जबकि डीआईआई की 4,814 करोड़ रुपये की खरीदारी ने दबाव कुछ कम किया।
बैंकिंग सेक्टर में सबसे अधिक दबाव निजी बैंकों पर देखा गया। ऑटो सेक्टर में मुनाफावसूली का दौर जारी रहा जबकि आईटी कंपनियों के शेयर वैश्विक मंदी की आशंकाओं से प्रभावित रहे। मेटल और मीडिया शेयर भी कमजोर स्तर पर कारोबार करते दिखे, जिससे बाजार की चौड़ाई घट गई।
गौर करने योग्य है कि अक्टूबर में एफपीआई ने करीब 14,610 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जबकि सितंबर में उन्होंने 35,000 करोड़ से अधिक की बिकवाली की थी। ऐसे में नवंबर की शुरुआत फिर से नकारात्मक संकेतों के साथ होना निवेशकों के भरोसे को तोड़ सकता है। पिछले सत्र में भी बाजार लाल निशान पर बंद हुआ था—सेंसेक्स 83,311 और निफ्टी 25,509 पर। यह लगातार दूसरी गिरावट है।
आज की गिरावट यह संकेत दे रही है कि निवेशक फिलहाल जोखिम से बचना चाह रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था की मंदी की आशंका, अमेरिकी ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता और चीन की धीमी रिकवरी जैसी वजहों ने बाजार भावना को प्रभावित किया है। जब तक वैश्विक संकेत स्थिर नहीं होते और विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुकती नहीं, तब तक भारतीय बाजारों में स्थिरता लौटना मुश्किल दिखता है।



