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साजिदा सबा की शायरी हुस्न, इश्क़ और ग़म की सजीव अभिव्यक्ति: डॉ. मिर्ज़ा शफ़ीक

शेरोज़ कैफ़े में “किचन से क़लम तक” पर संपन्न हुई साहित्यिक चर्चा

सब तक एक्सप्रेस।

लखनऊ। उर्दू साहित्य की प्रतिष्ठित संस्था “सिलसिला अदब का” द्वारा शेरोज़ कैफ़े, गोमती नगर में प्रसिद्ध शायरा साजिदा सबा के काव्य संग्रह “किचन से क़लम तक” पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. मिर्ज़ा शफ़ीक हुसैन शफ़क़ ने कहा कि साजिदा सबा की शायरी का केंद्र सौंदर्य, प्रेम और ग़म है—ये भावनाएँ मानव जीवन का सार हैं और शायरा ने इन्हें बेहद प्रभावशाली अंदाज़ में व्यक्त किया है।

सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने साजिदा सबा की रचनाओं को समसामयिक मुद्दों को सुंदर और संवेदनशील रूप से प्रस्तुत करने वाला बताया। वहीं नय्यर उमर ने उनकी शब्द-संरचना और भाव-सृष्टि पर एक शोधपत्र प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में साजिदा सबा के साथ-साथ आमिर फ़ारूक़ी, उमैर मंज़र, ताज रिज़वी और हिना रिज़वी सहित कई साहित्यकारों ने “किचन से क़लम तक” तथा सोहेल आज़ाद की पुस्तक “ग़ज़ल लेखन: एक परिचय” पर अपने विचार साझा किए।

साजिदा सबा ने संयोजन दायित्व बड़ी सादगी और शालीनता के साथ निभाया। इसके बाद आयोजित काव्य पाठ ने कार्यक्रम को विशेष आकर्षण प्रदान किया, जिसमें ताज रिज़वी, हिना रिज़वी, साजिदा सबा, आमिर फ़ारूक़ी, मालविका हरिओम, अहमद फ़राज़, हशीम फ़ारूक़ी आदि ने अपनी ग़ज़लों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य पाठ का संचालन डॉ. मिर्ज़ा शफ़ीक हुसैन शफ़क़ ने अपने खास अंदाज़ में किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शेहला हक और आरिफ जुबैर उपस्थित रहे। अंत में “सिलसिला अदब का” की अध्यक्ष साजिदा सबा ने अतिथियों को सम्मानित किया और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
अज़रा नजम, इमराना अज़मत, फरहीन इक़बाल, तरन्नुम असगर और सईदा सहित कई साहित्यप्रेमियों की सहभागिता ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया।

 

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