जयपुर

पुलिस व RTO की साझा कार्रवाई, शहर से 20 हजार ई-रिक्शा बाहर होंगे।

जयपुर में ई-रिक्शा संचालन पर बड़ा फैसला—शहर बदलने वाली कार्रवाई शुरू

जयपुर की सड़कों पर हर दिन हजारों लोग ई-रिक्शा का सफर तय करते हैं। लेकिन अब शहर में ई-रिक्शा व्यवस्था पूरी तरह बदलने जा रही है। ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में आए तीखे सवालों और शहर में बढ़ते ट्रैफिक अव्यवस्था को देखते हुए पुलिस और आरटीओ ने मिलकर एक बड़ा मिशन शुरू किया है—पुराने और नियम-विहीन ई-रिक्शा को शहर से बाहर करना।


47 हजार में से 20 हजार रिक्शा होंगे बाहर—क्यों?

जयपुर में इस समय लगभग 47,000 ई-रिक्शा चलते हैं। इनमें से लगभग 20,000 ऐसे हैं जिनमें भारी कमियाँ पाई गई हैं—

  • वाहन पाँच साल से भी ज्यादा पुराने

  • फिटनेस प्रमाणपत्र समाप्त

  • रजिस्ट्रेशन अपडेट नहीं

  • कोई नवीनीकरण संभव नहीं

नियमों के अनुसार, ई-रिक्शा की आयु पाँच वर्ष तय है और इसके बाद इसका ‘कंडम’ होना अनिवार्य है। ऐसे वाहन चलने से न सिर्फ ट्रैफिक बाधित होता है, बल्कि सुरक्षा जोखिम भी बढ़ता है।


कार्रवाई की शुरुआत—5 हजार का रजिस्ट्रेशन निरस्त

पहले चरण में अधिकारियों ने 5,000 ई-रिक्शा का पंजीयन निरस्त कर दिया है।
बाकी 15 हजार को नोटिस भेजकर दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की अंतिम तारीख दी गई है।

इस पूरी प्रक्रिया के बाद शहर में केवल 27,000 वैध ई-रिक्शा ही चल पाएंगे।


दिसंबर से नया सिस्टम—क्यूआर कोड से कंट्रोल

अब शहर में ई-रिक्शा संचालन सिर्फ कागज़ों से नहीं, बल्कि डिजिटल मॉनिटरिंग से नियंत्रित होगा।

दिसंबर से प्रत्येक ई-रिक्शा के लिए QR कोड अनिवार्य कर दिया जाएगा।
इस QR कोड के लिए चालक को इन सभी दस्तावेज़ों की जरूरत होगी—

  • लाइसेंस

  • रजिस्ट्रेशन

  • बीमा

  • फिटनेस

  • दस दिन का प्रशिक्षण प्रमाणपत्र

क्यूआर कोड न होने पर ई-रिक्शा स्वतः अवैध माना जाएगा।


एक व्यक्ति को सिर्फ एक QR कोड—सिंडिकेट पर रोक

शहर में लगभग 5,000 लोग एक से अधिक ई-रिक्शा चलवा रहे हैं, जिसे अब अवैध माना जाएगा।
नए नियम के तहत एक व्यक्ति को सिर्फ एक ही ई-रिक्शा का क्यूआर कोड दिया जाएगा।
इन 5 हजार लोगों के अतिरिक्त ई-रिक्शा सीधे बाहर होंगे, जिससे शहर में ट्रैफिक काफी नियंत्रित होगा।


कुल 30 हजार ई-रिक्शा बाहर—सड़कों को मिलेगी राहत

नियमों की पूरी प्रक्रिया लागू होने के बाद अनुमान है कि
कुल 30,000 से ज्यादा ई-रिक्शा शहर की सीमा से बाहर जाएंगे।

इससे

  • सड़कें कम भीड़भाड़ वाली होंगी,

  • दुर्घटनाओं में कमी आएगी,

  • और ट्रैफिक व्यवस्था सहज व सुरक्षित बनेगी।


जयपुर की सड़कों पर नई शुरुआत

यह सख्त कदम केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि शहर के भविष्य को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने का प्रयास है। पुलिस और आरटीओ का संयुक्त अभियान जयपुर की यातायात व्यवस्था को नए स्तर पर ले जाने वाला है।

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