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‘नेहरू, तुष्टिकरण और मुस्लिम लीग…’, लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा; क्या-क्या बोले पीएम मोदी?

लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि तुष्टिकरण की राजनीति के दबा …और

HighLights

  1. पीएम मोदी ने वंदे मातरम पर कांग्रेस को घेरा
  2. तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस झुकी: मोदी
  3. आपातकाल की याद दिलाते हुए पीएम मोदी का भाषण

 राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर लोकसभा में विशेष चर्चा का आरंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक तथ्यों के सहारे कांग्रेस को एक फिर से कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया।

राष्ट्रगीत की पावन भावना का अपने शब्दों में विस्तार से उल्लेख करने के साथ उन्होंने कहा कि हमें उन परिस्थितियों को भी हमारी नई पीढ़ी को जरूर बताना हमारा दायित्व है, जिसकी वजह से वंदे मातरम के साथ विश्वासघात किया गया।

पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना

उन्होंने आरोप लगाया कि तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकी, इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां वैसी की वैसी ही हैं।आज भी जिन-जिन के नाम के साथ कांग्रेस जुड़ा हुआ है, सब वंदे मातरम पर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं।

प्रधानमंत्री ने चर्चा के दौरान दावा किया कि वंदे मातरम के प्रति मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज होती जा रही थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1937 को वंदे मातरम के विरुद्ध नारा बुलंद किया। फिर कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। नेहरू जी ने मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को तगड़ा जवाब देने और उसके बयानों की निंदा करने की बजाए वंदे मातरम की ही पड़ताल शुरू कर दी।

पीएम ने कहा कि जिन्ना के विरोध के पांच दिन बाद ही 20 अक्टूबर को नेहरू जी ने नेताजी सुभाष चंद बोस को चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में जिन्ना की भावना से नेहरू जी अपनी सहमति जताते हुए लिखा कि वंदे मातरम की आनंद मठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को इरिटेट कर सकती है। प्रधानमंत्री ने पंडित नेहरू का बयान पढ़ा, “मैंने वंदे मातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है। मुझे लगता है कि यह जो बैकग्राउंड है, इससे मुस्लिम भड़केंगे।”

पीएम मोदी की बातों का कांग्रेस ने दिया जवाब

पीएम ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्टूबर से कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक कोलकाता में होगी, जिसमें वंदे मातरम के उपयोग की समीक्षा की जाएगी। पूरा देश हतप्रभ और हैरान था। देशभक्तों ने इस प्रस्ताव के विरोध में देश के कोने-कोने में प्रभातफेरियां निकालीं, वंदे मातरम गीत गाया, लेकिन देश का दुर्भाग्य कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम पर समझौता कर लिया और वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए।

उन्होंने कहा कि उस फैसले के पीछे नकाब ये पहना गया कि यह तो सामाजिक सद्भाव का काम है, लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए और यह मुस्लिम लीग के दबाव में किया। कांग्रेस का यह तुष्टीकरण की राजनीति को साधने का एक तरीका था।

पीएम ने आपातकाल की भी दिलाई याद

प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा के दौरान आपातकाल की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को जब 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था और वंदे मातरम के 100 साल हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था। देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके जब 100 साल हुए तो दुर्भाग्य से एक काला कालखंड हमारे इतिहास में उजागर हो गया।

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