हादसे में घायल नाबालिग की रास्ते में मौत होने पर ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया।

1. हादसा जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया
लावाकेरा आरटीओ बैरियर के पास सोमवार रात हुआ सड़क हादसा बेलडीपा गांव के लिए किसी गहरे सदमे से कम नहीं था। मात्र कुछ ही मिनटों में एक नाबालिग लड़का अपनी जान गंवा बैठा। रात करीब 9 बजे वह अपने गांव लौट रहा था, तभी सड़क किनारे खड़ी एक ट्रक से उसकी बाइक जोरदार तरीके से टकरा गई। टक्कर के बाद उसका शरीर बाइक से काफी दूर जा गिरा और आसपास मौजूद लोगों को समझ नहीं आया कि इतने भयानक हादसे में उसकी जान बच भी पाएगी या नहीं।
2. मदद की कोशिशें और अस्पताल तक पहुंचने की जद्दोजहद
घायल लड़का कुछ ही मिनटों में बेहोश हो गया। ग्रामीणों ने समय गंवाए बिना उसे उठाया और ओडिशा के सुंदरगढ़ अस्पताल की ओर रवाना हुए। उनके मन में अभी भी एक उम्मीद थी कि शायद डॉक्टर उसे बचा लें, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने बताया कि लड़का दम तोड़ चुका है। यह सुनते ही साथ आए ग्रामीणों का दिल बैठ गया। मौत की खबर गांव में पहुंचते ही हर घर में शोक की लहर फैल गई।
3. अगले दिन उठा ग्रामीणों का गुस्सा
हादसे की खबर पूरे क्षेत्र में फैल चुकी थी। मंगलवार दोपहर जब लोग इकठ्ठा होकर बात करने लगे, तो गुस्सा धीरे-धीरे बाहर आने लगा। ग्रामीणों को सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात की थी कि कर्मचारियों ने ट्रक का नंबर नहीं बताया, जबकि हादसा आरटीओ बैरियर के एकदम पास हुआ था। इसी नाराजगी ने हजारों सवालों को जन्म दिया और ग्रामीण सीधे लावाकेरा आरटीओ बैरियर पहुंच गए।
4. कर्मचारियों के साथ तीखी नोकझोंक, आरोपों की बौछार
ग्रामीणों ने जब कर्मचारियों से ट्रक के नंबर की पूछताछ की, तो उन्हें जवाब मिला — “हमें ट्रक का नंबर नहीं पता।” यह सुनते ही भीड़ भड़क गई। लोगों ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों ने जान-बूझकर ट्रक को वहां से भगा दिया ताकि मामला दब जाए।
बहुत से लोगों ने कहा कि ट्रक उसी रात गायब हो गया, जो इस बात का संकेत है कि मामले में कहीं न कहीं मिलीभगत है। भीड़ का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा था और किसी भी समय स्थिति हाथ से बाहर जा सकती थी।
5. उपसरपंच दुर्गेश बाजपेयी ने संभाला मोर्चा
इस तनावपूर्ण माहौल में गांव के उपसरपंच दुर्गेश बाजपेयी आगे आए और उन्होंने ग्रामीणों को संगठित रूप से अपनी बात रखने की सलाह दी। वे खुद भीड़ के साथ मौजूद रहे और उन्होंने कर्मचारियों के समक्ष पूरी तरह स्पष्ट शब्दों में कहा कि ग्रामीण किसी कीमत पर ढील नहीं देंगे और जब तक ट्रक का नंबर और चालक की जानकारी नहीं दी जाती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
6. प्रशासन को बुलाने की नौबत
जब माहौल और ज्यादा बिगड़ने लगा, तब कर्मचारियों ने उच्च अधिकारियों को सूचना दी। थोड़ी ही देर में फरसाबहार तहसीलदार और तपकरा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने पहुंचते ही भीड़ से शांत रहने की अपील की, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा इतना था कि वे सुनने को तैयार ही नहीं थे।
तहसीलदार और थाना प्रभारी को समझाने में उपसरपंच ने अहम भूमिका निभाई। ग्रामीणों को भरोसा दिलाते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन के सामने अपनी बात पूरी मजबूती से रखें, लेकिन हिंसा का सहारा न लें।
7. विस्तृत ज्ञापन और दो घंटे की महत्वपूर्ण चर्चा
उपसरपंच एवं ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से अधिकारियों को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इसमें प्रमुख मांगे थीं:
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ट्रक चालक और मालिक की तत्काल तलाश
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ट्रक नंबर की जानकारी देने से इनकार करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई
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मृतक परिवार को न्याय व मुआवजा
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आरटीओ चौकी की कार्यप्रणाली की जांच
अधिकारियों ने बातचीत के दौरान बार-बार भरोसा दिलाया कि हर पक्ष की जांच होगी। चर्चा करीब दो घंटे चली, जिसमें ग्रामीणों ने विस्तार से बताया कि कैसे ट्रक बिना किसी संकेत के सड़क किनारे खड़ा था, कैसे लड़का उसमें फंस गया, और कैसे हादसे के बाद ट्रक गायब हो गया।
8. धीरे-धीरे शांत हुआ माहौल, जांच शुरू
लगातार समझाने और आश्वासन के बाद आखिर ग्रामीण शांत हुए। भीड़ धीरे-धीरे हटने लगी और आरटीओ चौकी पर सामान्य स्थिति बहाल हुई। तहसीलदार और थाना प्रभारी ने मौके पर ही जांच शुरू करने के निर्देश दिए।
हालांकि लोग घर लौट गए, लेकिन उनके मन में अभी भी सवाल तैर रहे थे —
क्या प्रशासन सच में दोषियों तक पहुंचेगा?
क्या ट्रक चालक पकड़ा जाएगा?
क्या आरटीओ कर्मियों की भूमिका की जांच खुले तौर पर होगी?
निष्कर्ष
इस मामले में उपसरपंच की भूमिका सबसे अहम रही। उन्होंने ग्रामीणों की आवाज प्रशासन तक पहुंचाई और मामले को शांतिपूर्ण ढंग से दिशा दी। हादसा दुखद था, लेकिन इसके बाद जिस तरह पूरा गांव एकजुट होकर खड़ा हुआ, वह न्याय की लड़ाई को और मजबूत बनाता है।



