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नई ट्रेन नहीं तो अमरकंटक एक्सप्रेस का समय बदले रेलवे

शहडोल संभाग के यात्रियों की वर्षों पुरानी मांग फिर उठी, मामूली बदलाव से मिल सकती है बड़ी राहत

ब्यूरो चीफ – उमरिया
राहुल शीतलानी
सब तक एक्सप्रेस

उमरिया/शहडोल। शहडोल संभाग के हजारों रेल यात्रियों की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। अनूपपुर से भोपाल के लिए सीधी, सुविधाजनक और समयानुकूल रेल सेवा के अभाव में क्षेत्रवासी लंबे समय से नई ट्रेन की मांग कर रहे हैं। हालांकि रेल विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि यदि फिलहाल नई ट्रेन संभव नहीं है, तो दुर्ग–भोपाल अमरकंटक एक्सप्रेस की समय-सारिणी में बदलाव ही सबसे सरल, कारगर और त्वरित समाधान साबित हो सकता है।

बदल चुकी हैं परिस्थितियां

वर्ष 1988 में शुरू की गई अमरकंटक एक्सप्रेस की समय-सारिणी उस दौर की जरूरतों के अनुसार तय की गई थी, जब अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से की निर्भरता जबलपुर और भोपाल पर थी। लेकिन 1999 में छत्तीसगढ़ गठन के बाद परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। इसके अलावा नागपुर रूट से दर्जनों सुपरफास्ट ट्रेनों के संचालन के कारण वर्तमान समय-सारिणी अब यात्रियों की जरूरतों से मेल नहीं खा रही।

वर्तमान में यह ट्रेन दुर्ग से शाम 6.25 बजे चलकर अनूपपुर रात 11.24, शहडोल 12.18, उमरिया 1.22, जबलपुर 4.15 और भोपाल सुबह 10.30 बजे पहुंचती है। वहीं वापसी में भोपाल से शाम 4 बजे चलकर अगले दिन सुबह 8.05 बजे दुर्ग पहुंचती है। इस समय-सारिणी के कारण न तो यात्रियों को शाम की कनेक्टिविटी मिलती है और न ही सुबह का समय उपयोगी बन पाता है।

चार घंटे का बदलाव बदल सकता है तस्वीर

रेल विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमरकंटक एक्सप्रेस के समय में लगभग 4 घंटे का समायोजन कर दिया जाए, तो यह ट्रेन शहडोल संभाग के लिए बेहद उपयोगी बन सकती है।

प्रस्तावित समय-सारिणी के अनुसार—

यदि ट्रेन दुर्ग से दोपहर 2.20 बजे चले तो
अनूपपुर – शाम 7.30 बजे
शहडोल – 8.30 बजे
उमरिया – 9.30 बजे
जबलपुर – रात 12.30 बजे
भोपाल – शाम 6.30 बजे पहुंच सकती है, जो यात्रियों के लिए आदर्श समय माना जा रहा है।

इसी प्रकार, यदि ट्रेन भोपाल से रात 8.00 बजे रवाना हो तो
जबलपुर – रात 3.00 बजे
उमरिया – सुबह 6.00 बजे
शहडोल – 7.00 बजे
अनूपपुर – 8.00 बजे
और दुर्ग दोपहर 12.00 बजे पहुंचना संभव होगा।

यात्रियों में बढ़ता रोष, रेलवे पर उपेक्षा के आरोप

क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि रेलवे वर्षों से शहडोल संभाग की उपेक्षा कर रहा है। ऊर्जा, खनिज और पर्यटन के क्षेत्र में देश को महत्वपूर्ण योगदान देने वाला यह अंचल अब केवल मालगाड़ी कॉरिडोर बनता जा रहा है। पिछले वर्षों में दुर्ग–दिल्ली, बिलासपुर–मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर सहित अधिकांश लंबी दूरी की ट्रेनें नागपुर मार्ग से चलाई जा रही हैं। अब इलाहाबाद और रीवा से रायपुर जाने वाली नई ट्रेनों को भी जबलपुर–नैनपुर मार्ग से ले जाने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

क्षेत्रवासियों को आशंका है कि यदि यही स्थिति रही, तो कटनी–अनूपपुर–बिलासपुर रेल मार्ग भविष्य में सिर्फ मालगाड़ियों तक सीमित हो जाएगा

स्पष्ट मांग—नई ट्रेन मिले तो बेहतर, नहीं तो समय बदले

आम यात्रियों से लेकर सामाजिक संगठनों तक इस बात पर सहमति बन चुकी है कि नई ट्रेन मिले तो सर्वोत्तम, लेकिन जब तक ऐसा संभव न हो, तब तक अमरकंटक एक्सप्रेस की समय-सारिणी में बदलाव कर यात्रियों को राहत दी जाए। अब निगाहें रेलवे प्रशासन पर टिकी हैं कि वह शहडोल संभाग की इस जायज मांग पर कब तक सकारात्मक निर्णय लेता है।

 

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