अहंकार और अनादर के परिणाम होते हैं विनाशकारी : महंत विनोदानंद शास्त्री
राजधानी के कमता स्थित शंकरपुरी में चल रही है एकादश श्रीमद् भागवत कथा

सब तक एक्सप्रेस।
लखनऊ। राजधानी के कमता स्थित शंकरपुरी कॉलोनी में चल रही एकादश श्रीमद् भागवत कथा के दौरान बुधवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए महंत पंडित विनोदानंद शास्त्री जी महाराज ने कहा कि अहंकार और अनादर के परिणाम सदैव विनाशकारी होते हैं। उन्होंने शिव–दक्ष द्रोह प्रसंग के माध्यम से जीवन में विनम्रता, श्रद्धा और सम्मान के महत्व को रेखांकित किया।
आचार्य देवकीनंदन मिश्रा के संयोजन में आयोजित यह वार्षिक 11वां महा अनुष्ठान कमता महोत्सव, 21 कुंडीय ज्ञान यज्ञ एवं भंडारे के साथ 25 दिसंबर तक संचालित किया जा रहा है। कथा प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक आयोजित हो रही है।
शिव–दक्ष प्रसंग से मिला जीवन का संदेश
महंत विनोदानंद शास्त्री महाराज ने शिव–दक्ष द्रोह प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि अहंकार और अनादर के कारण ही देवी सती को आत्मदाह करना पड़ा और दक्ष के यज्ञ का विनाश हुआ। यह प्रसंग मानव जीवन में सम्मान, मर्यादा और संयम की अनिवार्यता को दर्शाता है।
उन्होंने शिव विवाह प्रसंग का आध्यात्मिक महत्व बताते हुए कहा कि शिव–पार्वती विवाह केवल दो आत्माओं का मिलन नहीं, बल्कि आदि शक्ति और महादेव के शाश्वत ब्रह्मांडीय संयोग का प्रतीक है। यह विवाह प्रेम, तपस्या और सृष्टि के संतुलन का संदेश देता है, जिसमें देव, असुर, मानव और भूत-प्रेत सभी सम्मिलित होते हैं, क्योंकि शिव सभी के आराध्य हैं।
भजनों पर झूमे श्रद्धालु
कथा के दौरान प्रस्तुत सरस भजनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। “भोले बाबा की आ गई बारात, चलो सखी दर्शन करें” जैसे भजनों पर बच्चे, युवा और वरिष्ठ श्रद्धालु सभी झूमते नजर आए। कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्रोच्चार, आवाहन, षोडशोपचार पूजन, आरती एवं भजन-कीर्तन से किया गया।
स्वच्छ कमता का भी संदेश
इस आयोजन के माध्यम से स्वच्छ कमता अभियान को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे धार्मिक आयोजनों के साथ सामाजिक जागरूकता का संदेश भी जन-जन तक पहुंच सके।
कुल मिलाकर, श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति, नैतिक मूल्यों और सामाजिक सद्भाव का संदेश दिया जा रहा है।
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