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लखनऊ। केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कर्मचारियों और शिक्षकों की समस्याओं की लगातार उपेक्षा किए जाने से देशभर के कर्मचारी संगठन आक्रोशित हैं। इण्डियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन (इप्सेफ) ने संकेत दिए हैं कि मौसम अनुकूल होने पर वह देशव्यापी बड़े आंदोलन की तैयारी करेगा।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्र एवं महासचिव प्रेम चन्द्र ने संयुक्त बयान में बताया कि विभिन्न राज्यों के कर्मचारी संगठनों से हुई बातचीत में सामने आया है कि रिक्त पदों पर भर्ती न होना, पदोन्नतियों में देरी, कैडर पुनर्गठन लंबित रहना, आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण, बकाया महंगाई भत्ते की किस्तों का भुगतान न होना तथा शिक्षकों से जुड़ी समस्याएं कर्मचारियों में व्यापक असंतोष का कारण बनी हुई हैं।
उन्होंने बताया कि शिक्षकों को जबरन टीईटी परीक्षा देने के लिए बाध्य किए जाने जैसे मुद्दों से भी शिक्षक वर्ग में रोष है। इप्सेफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एस.बी. सिंह एवं उपमहासचिव अतुल मिश्रा ने कहा कि यदि सरकार ने कर्मचारियों और शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर मिल-बैठकर सार्थक निर्णय नहीं लिए, तो संगठन बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री को कई बार पत्र भेजे गए हैं तथा विभिन्न राज्यों के संगठनों ने अपने-अपने मुख्यमंत्रियों से भी समस्याओं के समाधान का आग्रह किया, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।
इप्सेफ की प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन योजना की बहाली, 8वें वेतन आयोग की संस्तुतियों को 1 जनवरी 2026 से लागू करना, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी इसका लाभ देना, आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन, रिक्त पदों पर नियुक्तियों में प्राथमिकता तथा बेरोजगारी से जुड़े मुद्दों का समाधान शामिल है।
इप्सेफ ने एक बार फिर प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि जनता की सेवा करने वाले कर्मचारियों की समस्याओं पर संवेदनशीलता दिखाते हुए समाधान निकाला जाए, अन्यथा आने वाले चुनावों में इसका राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है।
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