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आर्थिक संकट से जूझ रहे नाबार्ड पेंशनर आंदोलन के मूड में

लंबित मांगों को लेकर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी

सब तक एक्सप्रेस।

लखनऊ। आर्थिक संकट से जूझ रहे नाबार्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पारिवारिक पेंशनर्स अब आंदोलन के रास्ते पर उतरने की तैयारी में हैं। देशभर में 3500 से अधिक सदस्यों वाली ऑल इंडिया नाबार्ड रिटायर्ड एम्प्लाइज एवं वेलफेयर एसोसिएशन ने भारत सरकार और नाबार्ड प्रबंधन पर पेंशन एवं पारिवारिक पेंशन से जुड़े मामलों में गंभीर उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है।

एसोसिएशन का कहना है कि 1 नवंबर 2017 तक सेवानिवृत्त नाबार्ड भर्ती कर्मचारियों को पेंशन संशोधन से वंचित रखा गया है, जिससे पेंशनर्स के बीच भेदभाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारत सरकार के 21 जुलाई 2023 के आदेश को नाबार्ड पेंशन विनियम 1993 और संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध बताते हुए संगठन ने इसे अन्यायपूर्ण करार दिया है।

पेंशनर्स की प्रमुख मांगें

  • 1 नवंबर 2017 तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का संशोधन
  • पारिवारिक पेंशन में संशोधन एवं अधिकतम सीमा को समाप्त करना
  • 11 से 20 वर्ष की सेवा के बाद पूर्ण पेंशन का प्रावधान
  • पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन अथवा 10 माह के औसत वेतन (जो लाभकारी हो) के आधार पर

संगठन ने बताया कि नाबार्ड के निदेशक मंडल द्वारा भेदभाव समाप्त करने की स्वीकृति दिए जाने के बावजूद 30 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे विशेष रूप से 80 वर्ष से अधिक आयु के पारिवारिक पेंशनर्स अत्यंत कम पेंशन पर जीवन यापन करने को मजबूर हैं, जो न्यूनतम जीवन स्तर से भी नीचे है।

आरबीआई के अनुरूप व्यवस्था की मांग

पेंशनर्स का कहना है कि आरबीआई, बैंकिंग सेक्टर और आरआरबी में पारिवारिक पेंशन पर कोई अधिकतम सीमा नहीं है, जबकि नाबार्ड में यह सीमा आज भी लागू है। प्रबंधन की इस असंवेदनशीलता के चलते सेवानिवृत्त कर्मचारियों में व्यापक असंतोष और निराशा व्याप्त है।

आंदोलन का कार्यक्रम

  • 05 दिसंबर 2025: लंच आवर में मुख्यालय व क्षेत्रीय कार्यालयों में ज्ञापन
  • 12 दिसंबर 2025: नाबार्ड निदेशक मंडल को ज्ञापन
  • 19 दिसंबर 2025: मुख्यालय व क्षेत्रीय कार्यालयों पर गेट प्रदर्शन व मीडिया ब्रीफिंग
  • 05 जनवरी से: मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों के सामने धरना

संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि इसके बाद भी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा, जिसमें संसद के समक्ष धरना तथा 70–80 वर्ष आयु के वरिष्ठ पेंशनर्स द्वारा अनशन जैसे कदम भी शामिल हो सकते हैं।

सब तक एक्सप्रेस

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