ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन की राज्यस्वीकृति पर अपनी स्थिति स्पष्ट की; फ्रांस और पुर्तगाल की प्रतिक्रिया भी सामने आई

ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश मान्यता दी; इजराइल ने कड़ा विरोध जताया
लंदन, 10 डाउनिंग स्ट्रीट: ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने रविवार को फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश मान्यता देने की घोषणा की। इसके साथ ही कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश मान्यता देने की घोषणा की।
ब्रिटेन का रुख:
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स्टार्मर ने कहा कि यह कदम इजराइल के अवैध कब्जे को खत्म करने और क्षेत्र में शांति लाने में मदद करेगा।
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नई फिलिस्तीनी सरकार इजराइल के साथ मिलकर काम करेगी और इसमें हमास की कोई भूमिका नहीं होगी।
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ब्रिटिश डिप्टी पीएम डेविड लैमी ने बताया कि यह मान्यता तुरंत नया देश बनाने का संकेत नहीं है, बल्कि यह ‘टू स्टेट सॉल्यूशन’ की प्रक्रिया का हिस्सा है।
इजराइल की प्रतिक्रिया:
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इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा का फिलिस्तीन को स्वतंत्र मानना आतंकवाद को इनाम देना है।
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नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि जॉर्डन नदी के पश्चिम में फिलिस्तीनी देश नहीं बनेगा और वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों को बढ़ाया जाएगा।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का दृष्टिकोण:
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कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने कहा कि यह कदम मध्य पूर्व में शांति और टू-स्टेट सॉल्यूशन को बचाने के लिए है।
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ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज ने कहा कि यह कदम फिलिस्तीनी लोगों की स्वतंत्रता की इच्छा का सम्मान करता है और यह टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए पुरानी कोशिशों का हिस्सा है।
फिलिस्तीन का स्वागत:
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फिलिस्तीन ने ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के फैसले की सराहना की और अमेरिका और अन्य देशों से भी मान्यता देने की अपील की।
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फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि यह कदम क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए जरूरी है।
संघर्ष की पृष्ठभूमि:
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इजराइल-हमास जंग में अब तक 60,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि 20 लाख से अधिक लोग गाजा में विस्थापित हुए हैं।
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ब्रिटिश पीएम ने यह फैसला ऐसे समय लिया जब अमेरिका के कई राजनेताओं ने दबाव डाला था कि यह कदम न उठाया जाए।
ऐतिहासिक संदर्भ:
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ब्रिटेन और फ्रांस की भूमिका मिडिल ईस्ट की राजनीति में ऐतिहासिक रही है।
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1917 में ब्रिटेन ने बाल्फोर घोषणापत्र जारी कर यहूदियों के लिए देश बनाने का समर्थन किया था, लेकिन फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की रक्षा का हिस्सा गंभीरता से लागू नहीं हुआ।
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ब्रिटेन लंबे समय से टू स्टेट सॉल्यूशन का समर्थन करता रहा है, लेकिन मान्यता शांति योजना के हिस्से के रूप में ही दी जाती है।
संबंधित समाचार:
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इजराइल ने गाजा-हमास मुद्दे पर फ्रांस और ब्रिटेन को आलोचना करते हुए कहा कि अगर उनके इराक-सीरिया में हमले जायज हैं, तो हमारा कतर में हमास पर हमला भी सही है।
इस फैसले से फिलिस्तीन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता और टू स्टेट सॉल्यूशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जबकि इजराइल ने इस पर कड़ा विरोध जताया है।