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दिल्ली पब्लिक स्कूल, सीतापुर में “भारतीय शास्त्रीय विरासत का उत्सव” आयोजित

SPIC MACAY के तत्वावधान में विद्यार्थियों ने महसूस की भारतीय कला और संस्कृति की गहराई

सीतापुर | वरिष्ठ संवाददाता शैलेन्द्र यादव — सब तक एक्सप्रेस

दिल्ली पब्लिक स्कूल, सीतापुर में SPIC MACAY (Society for the Promotion of Indian Classical Music and Culture Amongst Youth) के अंतर्गत “भारतीय शास्त्रीय विरासत का उत्सव” नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक परंपराओं से परिचित कराना, उनमें भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं कला के प्रति रुचि जागृत करना तथा भारतीय विरासत के प्रति सम्मान और गर्व की भावना विकसित करना था।

SPIC MACAY का निरंतर प्रयास है कि भारत की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर से युवाओं को जोड़कर उनमें सौंदर्य-बोध, संवेदनशीलता और प्रेरणा का संचार किया जाए।

कार्यक्रम में प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डॉ. रक्षा सिंह डेविड मुख्य कलाकार के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने अपनी सुमधुर व भावपूर्ण प्रस्तुति से पूरे वातावरण को लय, भक्ति और सौंदर्य से भर दिया। उनकी प्रस्तुतियों में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ तथा भगवान अर्धनारीश्वर की लीलाएँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।

उनके साथ संगत में तबला वादक पंडित उदय शंकर मिश्रा, सारंगी वादक  अनिल कुमार मिश्रा, तथा वोकल पर  संजीव शुक्ला उपस्थित रहे, जिन्होंने अपनी उत्कृष्ट संगति से प्रस्तुति को और भी प्रभावशाली बना दिया।

कार्यक्रम में सीतापुर शिक्षा संस्थान की सचिव  सुमन मेहरोत्रा, डॉ. सीमा कपूर, विद्यालय के प्राचार्य श्री राकेश कुमार सिंह, हेडमिस्ट्रेस (सीनियर विंग) फराह इमाम, हेडमिस्ट्रेस (जूनियर विंग) सविता सिंह, शिक्षक-शिक्षिकाएँ तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

विद्यार्थियों ने इस प्रस्तुति के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय नृत्य की अभिव्यक्ति, अनुशासन, ताल और भावों की गहराई को समझा। उन्होंने महसूस किया कि कला केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आत्मअनुशासन, साधना और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

कार्यक्रम ने विद्यार्थियों में भारतीय परंपरा के प्रति गौरव, संवेदनशीलता और कलात्मक दृष्टिकोण को और गहराई से विकसित किया। इस प्रकार के आयोजन न केवल छात्रों को भारतीय कला और संस्कृति से जोड़ते हैं, बल्कि उन्हें अपने भीतर छिपी रचनात्मकता और सौंदर्य-बोध को पहचानने की प्रेरणा भी देते हैं।


 

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