कोटा

कोटा में धर्मांतरण का मामला, पुलिस ने दो ईसाई मिशनरियों पर मुकदमा दर्ज किया।

कोटा में चर्च के कार्यक्रम से शुरू हुई कानूनी लड़ाई: लालच, वायरल वीडियो और कानून की धाराओं का सच

🔹 परिचय

राजस्थान के कोटा जिले में धर्म परिवर्तन को लेकर उठे विवाद ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। मामला केवल मतांतरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि धार्मिक भावनाएं आहत करने और नए धार्मिक प्रतिषेध कानून के पहले प्रयोग का विषय बन गया है। आइए समझते हैं कि यह पूरा मामला आखिर कैसे शुरू हुआ और कहां तक पहुंचा।


🔹 आत्मिक सत्संग से शुरू हुआ विवाद

दिल्ली निवासी चंडी वर्गीश और कोआ निवासी अरुण जान ने कोटा के बीरशेबा चर्च में 4 से 6 नवंबर के बीच आत्मिक सत्संग आयोजित किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दोनों मिशनरियों ने लोगों को कहा कि ईसाई धर्म अपनाने पर उन्हें
👉 आर्थिक सहायता,
👉 बेहतर जीवनशैली,
👉 बच्चों की स्कॉलरशिप,
👉 रोजगार और इलाज जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।


🔹 आपत्तिजनक टिप्पणियां और धार्मिक तनाव

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, मिशनरियों ने हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अनुचित बातें कही और भाजपा सरकार को “शैतान का राज” बताया। इन बयानों ने उपस्थित लोगों को आक्रोशित कर दिया और कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी।


🔹 वीडियो वायरल होते ही पुलिस हरकत में

वीडियो सामने आने के बाद धार्मिक संगठनों ने शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मामले की प्राथमिक जांच शुरू की।
इसके बाद वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान को आधार बनाकर एफआईआर दर्ज की गई।


🔹 किस कानून के तहत मामला दर्ज हुआ?

मामला दो मुख्य प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया:

📌 भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 — किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावना को जानबूझकर आहत करना।
📌 राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम–2025 की धारा 3 और 5 — जबरन, लालच देकर किए गए धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध।


🔹 नया कानून और उसकी अहमियत

इस कानून के तहत यह पहला केस है, जिससे पुलिस और प्रशासन दोनों इसे टेस्ट केस मानकर पूरी सतर्कता से जांच कर रहे हैं। सरकार का दावा है कि कानून धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है, लेकिन धोखे या लालच से किए गए परिवर्तन को सख्ती से रोकता है।


🔹 पुलिस अधिकारी का बयान

बोरखेड़ा थाना प्रभारी देवेश भारद्वाज ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि दोनों मिशनरी जबरन और लालच देकर मतांतरण करवाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।


🔹 सामाजिक प्रतिक्रिया

✔ हिन्दू संगठनों ने इसे धर्म परिवर्तन की सुनियोजित साजिश बताया।
✔ ईसाई समुदाय ने कहा कि यह धार्मिक सभा थी, मतांतरण नहीं।
✔ स्थानीय लोगों ने कहा कि ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।


🔹 भविष्य पर असर

यह मामला आने वाले समय में राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश में धर्म परिवर्तन को लेकर कानूनी और सामाजिक बहस का मुद्दा बन सकता है। अगर आरोप साबित होते हैं, तो यह कानून की प्रभावशीलता का पहला प्रमाण होगा।


🔹 निष्कर्ष

कोटा में हुआ मतांतरण केस सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि धार्मिक संतुलन, कानून की मजबूती और सामाजिक चेतना की बड़ी मिसाल बन सकता है। कानून कहता है कि आस्था व्यक्तिगत है, लेकिन प्रलोभन देकर किया गया धर्म परिवर्तन कभी स्वीकार्य नहीं।

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