जयपुर

जयपुर में छात्रा की मौत के मामले में CBSE ने नोटिस किया जारी, 30 दिन में मांगा जवाब

शिक्षा तंत्र पर सवाल – अमायरा की मौत ने जगाई व्यवस्था की नींद

📌 घटना की पृष्ठभूमि

जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में चौथी कक्षा की नौ वर्षीय छात्रा अमायरा की मौत ने पूरे शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया। एक नवंबर को चौथी मंजिल से गिरकर हुई इस घटना के बाद लगातार जांच पड़ताल जारी है। पुलिस अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाई कि यह आत्महत्या थी या दुर्भाग्यपूर्ण हादसा। लेकिन इस घटना ने यह जरूर प्रश्न खड़े किए कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और शिकायत निवारण व्यवस्था कितनी कमजोर है।

📝 सीबीएसई का हस्तक्षेप और नोटिस

घटना के बाद सीबीएसई की दो सदस्यीय टीम ने स्कूल का निरीक्षण किया, जहां से बच्ची गिरी और घटना वाली जगह को बारीकी से देखा। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, पुलिस से बात की गई और कक्षा का माहौल समझा गया। रिपोर्ट सामने आने पर सीबीएसई ने स्कूल प्रबंधन को दोषी ठहराते हुए नोटिस जारी किया और 30 दिन में विस्तृत जवाब मांगा। बोर्ड ने संबद्धता उप नियम के चैप्टर 12 के तहत जुर्माना लगाने पर भी विचार जताया।

🧒 सहपाठियों द्वारा ताने और मानसिक दबाव

जांच में सामने आया कि बच्ची को उसकी कक्षा के कुछ छात्र अपमानजनक बातें कहते थे। ताने मारते थे, उसे अलग-थलग महसूस कराते थे। यह बुलिंग अमायरा लंबे समय से सह रही थी। उसने कई बार शिक्षिका से अपनी परेशानी साझा की, लेकिन दुर्भाग्यवश मदद नहीं मिली। कक्षा के सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि घटना से लगभग 45 मिनट पहले भी अमायरा ने पांच बार शिक्षिका से सहायता मांगी थी।

🚨 शिक्षिका की बड़ी लापरवाही

फुटेज के अनुसार, अमायरा ने डिजिटल स्लेट पर सहपाठियों द्वारा लिखे गए अपमानजनक संदेश दिखाए, लेकिन उसकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया। यह लापरवाही बाद में इस दर्दनाक घटना का कारण बन सकती है। शिक्षिका का संवेदनहीन रवैया न केवल शिक्षा के मानकों के खिलाफ है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति गंभीर उदासीनता को भी दर्शाता है।

🧪 फोरेंसिक जांच में लापरवाही

जांच में यह बात भी सामने आई कि जिस जगह बच्ची गिरी थी, उसे फोरेंसिक जांच से पहले ही साफ करा दिया गया था। सबूतों के साथ ऐसी छेड़छाड़ से घटना की सच्चाई तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इसी आधार पर सीबीएसई ने स्कूल से इस संबंध में भी जवाब मांगा है कि ऐसी कार्रवाई किसके आदेश पर हुई।

💭 बच्चों की भावनाएं भी होती हैं संवेदनशील

यह मामला सिर्फ एक स्कूल की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र को आइना दिखाता है। आज बच्चों पर पढ़ाई का दबाव, सामाजिक प्रतिस्पर्धा और मानसिक तनाव बढ़ रहा है, लेकिन स्कूलों की काउंसलिंग प्रणाली कमजोर होती जा रही है। बच्चों की आवाज को गंभीरता से न सुनना, उनके भावनात्मक संघर्षों की अनदेखी करना ऐसी घटनाओं को जन्म देता है।

👨‍👩‍👧 अभिभावकों और स्कूलों की साझा जिम्मेदारी

माता-पिता को भी यह समझना होगा कि उनके बच्चे क्या महसूस कर रहे हैं। वहीं स्कूलों को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, काउंसलर, सुरक्षित शिकायत तंत्र और संवेदनशील शिक्षकों को प्राथमिकता देनी होगी। शिक्षा केवल पुस्तकें पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चों का आत्मविश्वास और भावनात्मक विकास भी है।

📣 न्याय और बदलाव की उम्मीद

अमायरा की मौत एक त्रासदी ही नहीं, बल्कि बदलाव का संदेश भी है। यदि इस मामले से स्कूलों की प्रणाली सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए, तो शायद भविष्य में अनेक बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से गुजरना न पड़े।

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