दिल्ली

दिल्ली दंगे की जांच पर हाईकोर्ट की टिप्पणी-पीड़ितों ने नहीं उठाए सवाल, पर कई बाहरी दे रहे याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगे की जांच पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़ितों ने जांच को लेकर सवाल नहीं उठाए हैं, लेकिन कई NGO याचिकाएं दाखिल कर रही हैं। …और

HighLights

  1. हाईकोर्ट की दिल्ली दंगे की जांच पर टिप्पणी।
  2. पीड़ितों ने नहीं उठाए सवाल, NGO दे रहीं याचिका।
  3. कोर्ट ने NGO के हस्तक्षेप पर उठाए सवाल।

 दिल्ली दंगा मामले से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि आरोपित से लेकर पीड़ित तक न तो किसी ने दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल किए गए आरोप पत्र चुनौती नहीं दी है और न ही मामले में दोबारा जांच की मांग को लेकर आगे आए हैं। अदालत ने कहा कि बाहरी लोग राहत की मांग कर रहे हैं।

मेजिस्ट्रियल कोर्ट का क्यों नहीं गए?

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व मनोज जैन की पीठ ने कहा कि जिनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है, उन्होंने नहीं कहा कि जांच खराब है और इसकी दोबारा जांच होनी चाहिए। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि उन्होंने पिछले पांच साल से ज्यादा समय में किसी दूसरी एजेंसी से जांच या दोबारा जांच के अनुरोध के साथ मेजिस्ट्रियल कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने मामले की सुनवाई बहस के लिए 15 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।

विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही

दिल्ली दंगा मामले में अदालत पीड़ितों को इलाज, मुआवजा देने और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी करने से लेकर मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच कराने की मांगों को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

सुनवाई के दैरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता से अदालत ने पूदा कि क्या उन्होंने कभी पुलिस से यह कहते हुए संपर्क किया है कि उनके पास कोई सुबूत है, जिससे पुलिस अधिकारी के पक्षपाती होने का पता चले। यह भी कहा कि अदालत को दिखाएं कि पुलिस पक्षपाती है।

पीठ ने कहा कि किसी पीड़ित ने आगे आकर ऐसा नहीं कहा है। यह भी पूछा कि जांच में आपका क्या योगदान था? हमें बताएं कि किस कानून के तहत समाचार रिपोर्ट को सुबूत के तौर पर ले सकते हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने की याचिका दायर

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर कर सर्वोच्च न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल द्वारा मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। इसमें मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस के सदस्यों को इस एसआईटी से बाहर रखा जाए।

फंडिंग की जांच एएनआई से कराने की मांग

वहीं, एक अन्य याचिका शेख मुज्तबा द्वारा दायर की गई है, इसमें दंगों को भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण देने के लिए भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जांच की मांग की गई है।

लायर्स वायस द्वारा दायर याचिका में कई अन्य राजनेताओं के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा भी विभिन्न मांगों को लेकर अन्य याचिका दायर की गई है।

अजय गौतम की अर्जी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की फंडिंग की जांच एएनआई से करने की मांग की गई है।

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