चंगाई सभा के विरोध में हिंदू संगठनों के प्रदर्शन के बाद कोरबा में माहौल गरमा गया।
कोरबा में धार्मिक कार्यक्रम बना विवाद की जड़
कार्यक्रम से पहले की स्थिति
कोरबा जिले का कटघोरा क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील माना जाता रहा है। यहां विभिन्न समुदायों की आबादी निवास करती है और छोटी-सी चूक भी बड़े विवाद का रूप ले सकती है। ऐसे में सुतर्रा पेट्रोल पंप के पास आयोजित चंगाई सभा ने प्रशासन और समाज दोनों की चिंताएं बढ़ा दीं।
बिना अनुमति टेंट और लाउडस्पीकर
आरोप है कि पास्टर बजरंग जायसवाल ने बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के जमीन पर टेंट लगवाया और प्रार्थना सभा शुरू कर दी। इससे पहले भी वे लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रचार को लेकर विवादों में रह चुके हैं। नियमों की अनदेखी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
हिंदू संगठनों का कड़ा रुख
जैसे ही सभा की जानकारी मिली, बजरंग दल, हिंदू महासभा और भाजपा से जुड़े कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। उनका कहना था कि चंगाई के नाम पर मतांतरण कराया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से तत्काल कार्यक्रम बंद कराने और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
आमने-सामने आए दो समुदाय
विरोध के बीच मसीही समाज के 350 से अधिक लोग भी कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा हो गए। दोनों पक्षों की मौजूदगी से माहौल तनावपूर्ण हो गया। नारेबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
पुलिस का हस्तक्षेप
स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल बुलाया गया। धक्का-मुक्की की घटनाओं के बाद पुलिस ने कार्यक्रम को समाप्त कराया।
कानूनी कार्रवाई
सरपंच की शिकायत पर पुलिस ने जमीन मालिक रामकुमार पोर्ते, पास्टर की पत्नी संतोषी और पुत्र वरुण के खिलाफ धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज किया। जांच की प्रक्रिया जारी है।
सामाजिक असर
यह घटना दर्शाती है कि धार्मिक आयोजनों में नियमों की अनदेखी किस तरह सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है। प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी भी है।



