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श्री दिगम्बर जैन विशुद्धोदय तीर्थ प्यावलजी में वार्षिक कलशाभिषेक समारोह संपन्न, गूंजे आदिनाथ प्रभु के जयकारे

रिपोर्ट – सुनील कुमार मिश्रा, सब तक एक्सप्रेस, झांसी (उत्तर प्रदेश)

झांसी।
आस्था और श्रद्धा से ओतप्रोत वातावरण में श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र विशुद्धोदय तीर्थ प्यावलजी में वार्षिक कलशाभिषेक समारोह बड़े ही हर्षोल्लास एवं धार्मिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ।
यह भव्य आयोजन श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति के तत्वावधान में तथा अध्यक्ष अजित कुमार जैन की अध्यक्षता और तीर्थ मंत्री खुशाल जैन के संयोजन में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ हुई, जिसका सौभाग्य श्रीमती ममता – प्रदीप जैन (चैनू) को प्राप्त हुआ। इसके बाद भक्तिमय माहौल में प्रभु आदिनाथ भगवान का जलाभिषेक और शांतिधारा संपन्न हुई।


सौधर्म इन्द्र के रूप में विनोद चौधरी, ईशान इन्द्र अनिल जैन (ललितपुर), सानतकुमार इन्द्र एंजि. सतीशचंद जैन तथा माहेन्द्र इन्द्र खुशाल जैन रहे।

विश्वशांति की मंगलकामना के साथ राजीव जैन (रेलवे) और राजकुमार जैन (बरुआसागर) ने श्रीजी के मस्तक पर शांतिधारा की। अनुमोदना का सौभाग्य श्रीमती रानी जैन (कटरा) को प्राप्त हुआ।
जिनवाणी विराजमान का पुण्य श्रीमती संतोष – ओमप्रकाश जैन (ओरछा) को मिला।
चंवर समर्पण का सौभाग्य श्रीमती संगीता – विजय जैन (पंचकुईया), प्रज्ञा – अमित, एवं एंजि. बालचंद जैन को मिला।

रत्नत्रय फूलमाला अर्पित करने का अवसर विमल जैन (सीपरी), संजय सिंघई, अजित जैन, राजेन्द्र जैन (रेलवे), ललित चौधरी (सीपरी), सुनीता – उमेश सिंघई को प्राप्त हुआ।
महाआरती का सौभाग्य डॉ. अभय जैन को मिला।

इस अवसर पर धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सहभागिता करने वाले श्रावक–श्राविकाओं का सम्मान भी किया गया।

समारोह में पंचायत अध्यक्ष अजित जैन, उपाध्यक्ष यूथप सर्राफ पिंकी, महामंत्री वरुण जैन, बड़ा मंदिर मंत्री सुनील जैनको, करगुंवा तीर्थ मंत्री संजय सिंघई, वरिष्ठ समाजसेवी रमेश जैन (अछरौनी), शिखरचंद जैन (जल संस्थान), प्रमोद जैन (बब्बा), मुकेश जैन (वीडियो), देवव्रत जैन (बबलू) सहित बड़ी संख्या में समाज के गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।

मंगलाचरण का वाचन सौरभ जैन (बैंक) ने किया, संचालन वरुण जैन एवं सौरभ जैन (सर्वज्ञ) द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन तीर्थ मंत्री खुशाल जैन ने किया।

पूरे दिन श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से ओतप्रोत यह आयोजन जैन समाज की एकता, सेवा और अध्यात्म का अद्भुत प्रतीक रहा।

 

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