
सोने में निवेश भारतीय संस्कृति और वित्तीय सुरक्षा दोनों से जुड़ा हुआ है। लेकिन नकली या कम शुद्धता वाला सोना बाजार में आसानी से मिल जाने के कारण लोगों में चिंता रहती है कि जो ज्वैलरी या सिक्का खरीदा जा रहा है, वह असली है या नहीं। अच्छी बात यह है कि आज कई ऐसी तकनीकें और छोटे घरेलू तरीके उपलब्ध हैं जिनसे सोने की शुद्धता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। कुछ तरीके तुरंत जवाब देते हैं, जबकि कुछ वैज्ञानिक रूप से अधिक सटीक परिणाम प्रदान करते हैं।
इस लेख में हम 7 प्रकार (7 Sections) में उन तरीकों को समझेंगे, जिनसे आप घर बैठे या प्रोफेशनल सहायता लेकर सोने की असलियत का पता कर सकते हैं।
1. गोल्ड टेस्टिंग किट: घरेलू जांच का सबसे लोकप्रिय साधन
आजकल बाजार में मिलने वाली Gold Testing Kit ने सोने की जांच को बेहद आसान बना दिया है। यह किट अलग-अलग एसिड की शीशियों के साथ आती है, जिनका प्रयोग सोने के करट के अनुसार किया जाता है।
कैसे करते हैं टेस्ट?
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अपने गहने का एक छोटा हिस्सा टेस्टिंग स्टोन पर हल्के से रगड़ें।
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जो निशान बने, उस पर किट से एक बूंद एसिड डालें।
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यदि रंग बदल जाए, धातु का निशान मिट जाए या एसिड के संपर्क में रंग फीका पड़े—तो समझें सोना शुद्ध नहीं है।
यह तरीका बेहद सस्ता और घरेलू उपयोग के लिए भरोसेमंद माना जाता है। आम लोग भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं और 1–2 मिनट में नतीजा पा सकते हैं।
2. मैग्निफाइंग ग्लास से विजुअल टेस्ट: बिना एसिड के शुरुआती जांच
बिना किसी केमिकल के सोने की जांच करने का सबसे आसान तरीका है—मैग्निफाइंग ग्लास से गहन निरीक्षण करना।
क्या देखें?
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सोने की सतह पर रंग के फर्क, खरोंच या काली लाइनों की जांच करें।
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असली सोने का रंग एक जैसा रहता है और उस पर किसी दूसरी धातु की परत नहीं दिखती।
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नकली या कम शुद्ध सोने में ऊपर की लेयर के उतरने के संकेत मिल जाते हैं।
यह तरीका शुरुआती जाँच के लिए कारगर है, खासकर जब आप पुरानी ज्वैलरी खरीद रहे हों।
3. करट मीटर टेस्ट: प्रोफेशनल और सबसे सटीक तरीका
जब आप बिल्कुल सुनिश्चित होना चाहते हैं कि सोना कितना शुद्ध है, तो Karat Meter Test (XRF टेस्ट) सबसे उपयुक्त विकल्प है।
इस तकनीक में एक्स-रे का उपयोग कर धातु के अंदर मौजूद मिश्रधातुओं का विश्लेषण किया जाता है।
फायदे:
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करट वैल्यू तुरंत मिल जाती है।
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रिजल्ट वैज्ञानिक और 99% तक सटीक होता है।
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बड़े निवेश या भारी ज्वैलरी खरीदते समय यह तरीका अनिवार्य माना जाता है।
हालांकि, इसकी कीमत अन्य तरीकों की तुलना में थोड़ी अधिक होती है, लेकिन परिणाम सबसे भरोसेमंद आते हैं।
4. BIS Hallmark: सरकारी प्रमाणिकता की तुरंत पहचान
भारत में सोने की असलियत जानने का सबसे आधिकारिक प्रमाण है—BIS Hallmark।
ज्वैलरी खरीदते समय इन तीन निशानों को अवश्य देखें:
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BIS Standard Mark
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Purity Mark (22K, 18K या 24K)
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Jeweller Identification Code
BIS प्रमाणन यह सुनिश्चित करता है कि सोना तय मानक के अनुसार शुद्ध है।
यदि ज्वैलरी पर ये तीनों चिन्ह साफ दिख रहे हों, तो सोने के असली होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
5. चुंबक (Magnet) टेस्ट: मिलावट का सबसे आसान संकेत
असली सोना चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होता। इसी गुण का उपयोग करके आप घर पर ही एक साधारण टेस्ट कर सकते हैं।
कैसे करें?
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एक छोटा चुंबक लें और ज्वैलरी के पास लाएँ।
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यदि गहना चुंबक की ओर खिंच जाए, तो यह इस बात का संकेत है कि उसमें कोई अन्य धातु मिलाई गई है।
हालांकि, ध्यान रहे कि यह 100% टेस्ट नहीं है। कुछ धातुएँ गैर-चुंबकीय होती हैं, इसलिए चुंबक टेस्ट सिर्फ शुरुआती संदेह की पुष्टि कर सकता है।
6. वजन और घनत्व (Density) टेस्ट: वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित जांच
सोना अपनी घनत्व (density) के कारण अन्य धातुओं से ज्यादा भारी होता है।
इस तरीके में आपको दो चीजों की जरूरत होती है—वजन मशीन और पानी से भरा बर्तन।
प्रक्रिया:
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गहने का वजन नोट करें।
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उसे पानी में डुबोकर displacement यानी विस्थापन की मात्रा मापें।
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फिर वजन ÷ विस्थापन = density
यदि परिणाम लगभग 19.3 g/cm³ के करीब आता है, तो सोना असली माना जाता है।
हालांकि यह तरीका समझने में थोड़ा तकनीकी है, लेकिन सही माप के साथ यह बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
7. रगड़ और रंग परीक्षण: अनुभव पर आधारित पुराना तरीका
कई लोग पुराने समय से सोने का परीक्षण इसी तरीके से करते आए हैं।
कैसे पहचानें?
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असली सोने का रंग प्राकृतिक और समान होता है।
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यदि हल्के से रगड़ने पर रंग उतरने लगे या धातु की अंदरूनी सतह अलग टोन में दिखे—तो वह नकली या मिश्रधातु हो सकता है।
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असली सोना चमकदार, लेकिन तेज नहीं होता; उसका पीला रंग हल्का गर्म दिखाई देता है।
यह तरीका वैज्ञानिक नहीं है, लेकिन वर्षों के अनुभव वाले ज्वैलरों के लिए यह एक तेज़ और शुरुआती जांच का तरीका है।
सोने की जांच क्यों अनिवार्य है?
सोना खरीदते समय की जाने वाली जरा-सी लापरवाही भी बड़ा नुकसान करा सकती है।
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नकली या हल्के सोने पर आपको गलत मूल्य मिलता है
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पुनर्विक्रय (resale) के समय नुकसान बढ़ जाता है
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निवेश का उद्देश्य अधूरा रह जाता है
इसलिए चाहे आप घरेलू तकनीकों का उपयोग करें या प्रोफेशनल टेस्ट करवाएँ, गोल्ड की शुद्धता परखना हमेशा ज़रूरी है। थोड़ी सी सावधानी आपके निवेश को सुरक्षित, किफायती और लाभदायक बना सकती है।



