
उदयपुर। दर्शन विज्ञान प्रकोष्ठ के तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में प्रोफेसर पारसमल अग्रवाल ने अमेरिकी लेखिका डॉ. कैरोलीन मिस (Caroline Myss) की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक “एनाटॉमी ऑफ द स्पिरिट” का परिचय कराया। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक, जो 18 भाषाओं में अनुवादित होकर लाखों की संख्या में बिक चुकी है, 10वीं सदी में भारतीय संस्कृति में वर्णित सात चक्रों के ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है।
मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि “एनाटॉमी ऑफ द स्पिरिट” शारीरिक बीमारियों और आध्यात्मिक व भावनात्मक स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध को स्पष्ट करती है। इसमें बताया गया है कि हमारे विश्वास और दृष्टिकोण का शरीर के विभिन्न अंगों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। डॉ. मिस के अनुसार, बीमारी अक्सर आंतरिक आध्यात्मिक या भावनात्मक असंतुलन का संकेत होती है, और इनका संतुलन स्थापित करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
संगोष्ठी में डॉ. मनीष जैन ने “जैन ग्रंथों में ज्योतिष” विषय पर विस्तृत विवेचना प्रस्तुत की। इस अवसर पर डॉ. के. एल. कोठारी, डॉ. प्रेम सुमन जैन और श्री अशोक जेतावत सहित कई विद्वानों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोताओं ने सहभागिता की और इसे भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के समन्वय का महत्वपूर्ण प्रयास बताया।