
विशाखा व्यास, उदयपुर,
— सब तक एक्सप्रेस
उदयपुर। लवीना विकास सेवा संस्थान, ओंगना को अनुदान नहीं मिलने का मामला अब एक बार फिर चर्चा में है। संस्थान से जुड़े अधिकारियों और राज्य सरकार के विभाग पर जिम्मेदारी से बचने का आरोप लग रहा है। सवाल यह है कि आखिरकार पांच वर्षों तक मासूम बच्चों की जिम्मेदारी निभाने वाले संस्थान को अनुदान दिलाने की जिम्मेदारी किसकी है?
ज्ञात हो कि 21 सितंबर 2017 से संस्थान के संचालक भरत कुमार पूर्बिया को राज्य सरकार ने ऐसे बच्चों की देखभाल और संरक्षण का कार्य सौंपा था, जिनका कोई सहारा नहीं है। संस्थान ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ यह जिम्मेदारी निभाई, विभाग ने बच्चे भेजे और हर साल अनुदान का प्रस्ताव भी विभाग को भेजा गया। इसके बावजूद अनुदान स्वीकृत नहीं हुआ।
अनुदान न मिलने पर संस्थान को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी, जहां कोर्ट ने विभाग को आदेश दिए। लेकिन आज तक विभाग ने इन आदेशों की पालना नहीं की। विभाग की ओर से यह कारण बताया गया कि भारत सरकार से वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है, जबकि भारत सरकार ने पहले ही राज्य सरकार को पत्र भेजकर प्रस्ताव समय पर भेजने की बात कही थी।
अब सवाल कई हैं—
- क्या भारत सरकार से वित्तीय स्वीकृति दिलाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी नहीं?
- यदि स्वीकृति नहीं मिली, तो इसकी लिखित सूचना संस्थान को क्यों नहीं दी गई?
- विभाग के निरीक्षण के दौरान अनुदान रोकने का उल्लेख क्यों नहीं किया गया?
- क्या प्रस्ताव समय पर केंद्र को भेजे ही नहीं गए?
जानकारी यह भी सामने आई है कि यदि प्रस्ताव समय पर भेजे जाते, तो भारत सरकार वित्तीय स्वीकृति जारी कर देती। लेकिन अब विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और जिम्मेदारी से बचने की कोशिश में लगे हैं।



