अंतरराष्ट्रीय

G20 में अमेरिकी अनुपस्थिति से बनी ‘खाली कुर्सी’ की स्थिति—क्या संकेत दे रहा है दक्षिण अफ्रीका?

जब अमेरिका पीछे हटा, दक्षिण अफ्रीका ने ‘खाली कुर्सी’ को भी संदेश में बदला

कभी-कभी दुनिया आपको चुनौती देती है—और तब ताकत इस बात में होती है कि आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। दक्षिण अफ्रीका ने यही किया। अमेरिका ने G20 से दूरी बनाई, मानवाधिकार हनन का आरोप लगाया और सम्मेलन से किनारा कर लिया। लेकिन राष्ट्रपति रामफोसा ने इसे संकट में नहीं बदला, बल्कि अवसर में बदल दिया। उन्होंने कहा—“खाली कुर्सी तो रहेगी ही, शायद उसी को अध्यक्षता सौंप दूँ।” यह वाक्य केवल व्यंग्य नहीं, नेतृत्व का संदेश है। दुनिया जब आपको नजरअंदाज करे, तब आप खुद अपना मंच बनाते हैं। दक्षिण अफ्रीका ने यह दिखा दिया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में निर्भरता समाधान नहीं, संवाद और आत्मविश्वास समाधान हैं। हर देश, हर व्यक्ति इस घटना से एक सीख ले सकता है—अनुपस्थिति भी एक संदेश होती है, पर उपस्थित रहकर आप उसे अर्थ दे सकते हैं।

HighLights

दक्षिण अफ्रीका ‘खाली कुर्सी’ को सौंपेगा अध्यक्षता

ट्रंप ने मानवाधिकार हनन का हवाला दिया

रामफोसा ने संबंधों को सुधारने पर जोर दिया

क्यों भाग नहीं लिया अमेरिका?

रामफोसा ने सोवेटो में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ”मैंने पहले भी कहा है कि मैं किसी खाली कुर्सी को अध्यक्षता सौंपना नहीं चाहता। लेकिन खाली कुर्सी तो वहां होगी ही, शायद प्रतीकात्मक रूप से उस खाली कुर्सी को सौंप दूंगा और फिर राष्ट्रपति ट्रंप से बात करूंगा।”

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